कुनाल का टर्निंग पॉइंट

 कुनाल का टर्निंग पॉइंट

कुनाल, 32 साल का एक मैकेनिकल इंजीनियरहमेशा अपनी सटीकता और समर्पण के लिए जाना जाता था। वह मुंबई की एक प्रमुख फार्मा मशीनरी निर्माण कंपनीअमित इंजीनियरिंग वर्क्समें सीनियर इंजीनियर के रूप में काम करता था। जटिल समस्याओं का समाधान निकालना और समय पर काम पूरा करना उसकी पहचान थी। लेकिन उसे इस बात का अहसास नहीं था कि उसका बढ़ता अहंकार उसके और उसके सहकर्मियों के बीच अदृश्य दीवार खड़ी कर रहा है।

कुनाल के मैनेजरश्री जोशीउसे अक्सर टीमवर्क की ओर प्रोत्साहित करते। कुनालतुम अपने काम में शानदार होलेकिन याद रखोकोई भी मशीन तभी काम करती है जब उसके सभी पुर्जे सही से काम करें,” श्री जोशी कहते। कुनाल विनम्रता से सिर हिला देतालेकिन अंदर से वह सोचता कि वह सब कुछ खुद ही बेहतर तरीके से कर सकता है।

समस्या की शुरुआत

एक दिनअमित इंजीनियरिंग वर्क्स को एक बड़े फार्मा ग्राहक के लिए हाई-कैपेसिटी टैबलेट प्रेस मशीन बनाने और समय पर डिलीवर करने का प्रोजेक्ट मिला। यह प्रोजेक्ट बहुत जटिल था और इसके लिए डिज़ाइनप्रोडक्शन और क्वालिटी टीम्स के बीच सुचारू समन्वय की आवश्यकता थी। कुनाल को इस प्रोजेक्ट का लीडर बनाया गया।

अपनी आदत के मुताबिककुनाल प्रोजेक्ट में पूरी तरह डूब गयालेकिन उसने अपनी टीम के सुझावों को नज़रअंदाज़ कर दिया। अगर मैं पहल नहीं करूंगातो यह काम कभी पूरा नहीं होगा,” उसने सोचा। उसने डिज़ाइन टीम के सुझावों को खारिज कर दिया और क्वालिटी विभाग की चिंताओं को नज़रअंदाज़ किया।

डिलीवरी की अंतिम समय सीमा से एक हफ्ते पहलेबड़ी समस्या सामने आ गई। एक महत्वपूर्ण डिज़ाइन खामीजिसे एक जूनियर डिज़ाइनर ने इंगित किया था और जिसे कुनाल ने अनदेखा कर दिया थाके कारण मशीन टेस्टिंग के दौरान काम करना बंद कर दी। ग्राहक नाराज़ हो गयाऔर कंपनी की साख खतरे में पड़ गई।

 नम्रता का सबक

अगले दिनश्री जोशी ने आपातकालीन बैठक बुलाई। उन्होंने टीम को शांत लेकिन दृढ़ स्वर में संबोधित किया। गलतियां होती हैंलेकिन जो चीज़ मुझे परेशान करती है वह है सहयोग की कमी। कुनालयह प्रोजेक्ट कभी भी अकेले पूरा करने के लिए नहीं था।

कुनाल को गहरा अपराधबोध हुआ। पहली बारउसने महसूस किया कि उसके अहंकार ने उसकी टीम को अलग कर दिया और प्रोजेक्ट को संकट में डाल दिया। बैठक के बादवह उस जूनियर डिज़ाइनरअदितिके पास गयाजिसके सुझाव को उसने खारिज कर दिया था। अदितिमुझे तुमसे माफ़ी मांगनी चाहिए। तुम्हारा सुझाव महत्वपूर्ण थाऔर मुझे उसे सुनना चाहिए था।

अदिति हैरान थी लेकिन समझदारी दिखाते हुए बोली, “कोई बात नहींकुनाल। चलो अब इस समस्या को हल करने पर ध्यान केंद्रित करते हैं।

परिवर्तन की शुरुआत

कुनाल ने पूरी टीम को इकट्ठा किया और कहा, “हम सब इस प्रोजेक्ट में एक साथ हैं। चलोमिलकर इस समस्या को हल करें।” इस बार उसने खुली चर्चा को प्रोत्साहित कियाफीडबैक लियाऔर जिम्मेदारियां सही तरीके से बांटीं। टीम ने कड़ी मेहनत की और सबके प्रयासों से समय पर खामी को दूर कर दिया।

ग्राहक संशोधित मशीन से खुश हुआऔर डिलीवरी बिना किसी रुकावट के पूरी हुई। सबसे महत्वपूर्ण बातकुनाल ने टीमवर्क और नम्रता का मूल्य सीखा।

एक बदला हुआ लीडर

उस दिन के बादकुनाल ने अपना दृष्टिकोण पूरी तरह बदल दिया। वह ऐसा लीडर बन गया जो सुनता हैसहयोग करता हैऔर अपनी टीम के हर सदस्य के योगदान को महत्व देता है। कुछ महीनों बादजब अमित इंजीनियरिंग वर्क्स को अब तक का सबसे बड़ा प्रोजेक्ट मिलातो श्री जोशी ने कुनाल को उसे लीड करने के लिए चुना। क्योंकि अब वह केवल तकनीकी रूप से कुशल नहीं थाबल्कि टीम को प्राथमिकता देने वाला लीडर बन चुका था।

कुनाल की यात्राअहंकार से लेकर एक सम्मानित लीडर बनने तकअमित इंजीनियरिंग वर्क्स में सभी के लिए प्रेरणा बन गई। वह अक्सर नए कर्मचारियों के साथ अपना अनुभव साझा करता और कहता,
टीमवर्क में ही असली ताकत हैऔर एक लीडर की ताकत इसे पहचानने में है।

 Dr. Mohite Mentoring

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